नाथ संप्रदाय का उद्देश्य
नाथ संप्रदाय का इतिहास नाथ संप्रदाय ( नाथ, जोगी, योगी समाज) पुरातन काल से पूज्नीय एवम वन्दनीय समाज रहा है| साधु - संत, मठ - मन्दिर पर रहकर स्वंय शास्त्र - प्रवीण होकर धर्म परम्परा भूल चुके समाज को दिशा देने का काम करते थे तथा शास्त्र - प्रवीण होकर विदेशी आक्रमणकारियों से देश की रक्षा करते थे| बाद में उनमें से कुछ गृहस्थी हो गये| ज्यों - ज्यों समय बीता वह अपनी संस्कृति भूलते चले गये तथा पश्चिम के रंग में रंगते चले गये फलस्वरूप आने वाली पीढ़ी पर आधुनिकता हावी हो गयी| आपस में प्यार भुलाकर द्वेष भावना के चक्रव्यूह में फस कर रह गये| दूसरे शव्दों में हम भटक गये, देश में हमारा संगठन नही है अपितु कही-कही हमारे संघठन काफी पुराने समयसे चल रहे हैं| परन्तु अत्याधुनिक साधन न होने के कारण तथा जागृति कम होने के कारण हम जो समाज को दिशा देने का काम करते थे, खुद दिशाहीन हो गये| आज तक जो भी संस्थायें संचालित हुई हैं वे नाथ, जोगी, योगी समाज के उत्थान एवं विकास मे अपनासम्पूर्ण योगदान नहीं दे पाईं हैं एवं समाज को देश मे होने वाले विकास के कार्यक्रम को अवगत एवं सम्पूर्ण जानकारी नहीं बता पाती थी. इसी कारण से नाथ, जोगी, योगी समाज ने इस संस्था का गठन कर सदियों से पिछडे और असंगठित नाथ, जोगी, योगी समाज के बंधुओं को एकत्रित करना शुरू किया जिससे कि नाथ, जोगी, योगी समाज के बंधु भी उच्च शिक्षा एवं तकनीकि विद्या का अध्ययन कर सके ताकि वो भी शासन - प्रशासन मे अपनी उचित भागीदारी प्राप्त करें, गरीब परिवारों की बेटे - बेटियों के विवाह में सहयोग हो, दहेज प्रथा का विरोध और समाज में सभी बराबर के हकदार हो।गृहस्थ बनाम विरक्त नाथयोगी संगठनों में एकात्मता, एकरूपता अपितु नाथ पंथ के सभीप्रकोष्ठ, सह उत्पाद और उपपंथों गिरी, पुरी, भारती, स्वामी, गोस्वामी, स्यामी, सनजोगी, उपाध्याय, दीक्षित, त्यागी, दषनामी, जोगी, जंगम, सेवडा, सन्यासी, दादूपंथी, कबीर पंथी, उदासी पंथी, नागा, दरवेश, फकीर, इस्मार्इल योगी, रांझे का जोगी, सरदार जोगी, बांसवाल जोगी, कालबेलिया, सपेरा, कापालिक, कौल, औघड, अघोरी, आदी को (जिन सबकी मिलाकर अनुमानित संख्या कम से कम 15 से 18 करोड है) एक ध्वज के तले लाना होगा। हम भोज और भण्डारों से काफी ऊपर कुछ हटकर अलग सोचें जिससे कि नाथ, जोगी, योगी समाज के समाज का विकास हो। नाथ, जोगी, योगी समाज में अखिल भारतवर्षीय नाथ समाज के द्वारा धर्म, समाज, और राष्ट्र तीनों के लिए अभूतपूर्व कार्य किए गये हैं इनमे से कुछ इस प्रकार है :- स्त्री शिक्षा, सबको पढ़ने का अधिकार, विधवा विवाह, छुआछूत का विरोध, गौरक्षा अभियान, हिन्दी को प्रोत्साहन, दहेज प्रथा का विरोध आदि।अखिल भारतवर्षीय नाथ समाज का फ़ेसबुक पृष्ठ संकलन समग्र अखिल भारतवर्षीय नाथ समाज को जोडने का एक प्रयास है। इस फ़ेसबुक पृष्ठ का उद्देश्य समाज के सदस्यों को समाज की गतिविधियों की जानकारी से अवगत कराना एवं उन गतिविधियों में सभी सदस्यों की सहभागिता बढाना है। इस फ़ेसबुक पृष्ठ पर समाज की सभी जानकारी, सम्पर्क सूत्र, सदस्यों की जानकारी एवं नाथ, जोगी, योगी, समाज के सभी घटकों की गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध रहेगी। आप सभी से अनुरोध है आप इसका अधिकतम उपयोग करें एवं समय ¬समय पर अपनी विगत को सुधारते रहें। इस फ़ेसबुक पृष्ठ का उद्देश्यसमाज को लोगो की जानकारी में लाना और समाज के बारे में बताना है | इसलिए सभी महानुभाओ से अनुरोध है की इस ग्रुप पर कोई ऐसी पोस्ट न करे जो समाज से परे हो | हमे आशा ही नही विश्वाश है ये हम सभी कि उम्मीदो पर खरे उतरेगे और समाज हित मे काम करेगे। कृपया अपने समाज में सभी को इस फ़ेसबुक पृष्ठ के बारे में बता कर आप नाथ, जोगी, योगी समाज की हेल्प करते हुए समाज सेवा के भागी बन सकते है... आप सभीके सुझाव भी सादर आमंत्रित हैं। आइये हम सब मिलकर नाथ, जोगी, योगी, समाज की एकता के लिये प्रतिज्ञा करें एवं प्रयास करें कि :-देश और समाज हमें सब कुछ देता है ! हम भी तो कुछ देना सीखें,पथिकों को तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया,सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला,औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें।''जिस देश और समाज में जनम लिया बलिदान उसी पैर हो जावे,नर सेवा - नारायण सेवा, पर - सेवा, पर - उपकार में हम निज जीवन सफल बना जावे' !!
अखिल भारतवर्षीय नाथ समाज का उद्देश्य :
1. कृप्या "गोरख-धंधा" पवित्र शब्द का अनादर ना करें !"गोरख-धंधा" नाथ, योगी, जोगी, धर्म - साधना में प्रयुक्त एक आध्यात्मिक मन्त्र योग विदृया है, परन्तु खेद की बात है कि आज का प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया दोनों ही बिना सोचे-विचारे, बिना जाने अज्ञानवश किसी भी बुरे कार्य जैसे मिलावट, धोखा-धड़ी, छल-कपट, चोरी-छिपे भ्रष्ट कार्यों को उजागर करते समय "गोरख-धंधा" शब्द लिखते या बोलते हुए समाचार को प्रस्तुत करते है! जब कि अधिकाँश मीडिया कर्मी और मीडिया धर्मी "गोरख-धंधा" का अर्थ भी नहीं समझते है! फिर यह पवित्र शब्द हम करोडो-करोड़ नाथ-मतानुयायियों की धार्मिक भावना से जुड़ा है। कृप्या इस पवित्र शब्द का बुरे कार्यों के लिए उपयोग न करें। यह तुरंत बंद होना चाहिए ! कृप्या हिंदु देवी-देवताओ का अनादर ना करें ! इससे हिंदु समाज की साख कोव भगवान गुरु गोरखनाथ जी के नाम को नुकसान पहुचाता है।गोरख-धंधा शब्द क्या है ?भारत की सारी संत-परंपरा भगवान गुरु गोरखनाथ जी की ऋणी है। जैसे पतंजलि के बिना भारत में योग की कोई संभावना न रह जायेगी; जैसे बुद्ध के बिना ध्यान की आधारशिलाउखड जायेगी; जैसे कृष्ण के बिना प्रेम की अभिव्यक्ति को मार्ग न मिलेगा, ऐसे भगवान गुरु गोरखनाथ जी के बिना उस परम सत्य को पाने के लिए विधियों की जो तलाश शुरु हुई, साधना की जो व्यवस्था बनी, वह न बन सकेगी। भगवान गुरु गोरखनाथ जी ने जितना आविष्कार किया मनुष्य के भीतर अंतर-खोज के लिए, उतना शायद किसी ने भी नहींकिया है। उन्होंने इतनी विधियां दी की अगर विधियों के हिसाब से सोचा जाये तो भगवान गुरु गोरखनाथ जी सबसे बड़े आविष्कारक हैं। इतने द्वार तोड़े मनुष्य के अंतरतम में जाने के लिए, इतने द्वार तोड़े कि लोग द्वारों में उलझ गये। इसलिए हमारे पास एक शब्द चल पडा है गोरख-धंधा - भगवान गुरु गोरखनाथ जी को तो लोग भूल गये – गोरख-धंधा शब्द चल पडा है। उन्होंने इतनी विधियां दीं कि लोग उलझ गये कीकौन-सी ठीक, कौन-सी गलत, कौन-सी करें, कौन-सी छोड़ें। अब कोई किसी भी चीज में उलझा हो तो हम कहते हैं, क्या गोरख-धंधे में उलझ गया है ! गोरख-धंधा शब्द गुरु गोरखनाथ के अबोधगम्य कारनामों की वजह से आया था, जो तंत्र के ज्ञाता थे ! जो समझमें ना आ सके वो गोरख-धंधा है, कृप्या इस पवित्र शब्द का बुरे कार्यों के लिए उपयोग न करें। यह तुरंत बंद होना चाहिए ! कृप्या हिंदु देवी देवताओ का अनादर ना करें ! इससे हिंदु समाज की साख को व भगवान गुरु गोरखनाथ जी के नाम को नुकसान पहुचता है!
2. समाज के उन रिति रिवाजो तथा प्रथाओ का त्याग करना जिससे समाज कि साख को नुकसान पहुचाती है।
3. नाथ, जोगी, योगी संगठित समाज को शक्तिशाली समाज और सुद्रङ बनाना । नाथ समाज जो कई छोटे - छोटे वर्ग समुहो मे बट गया है एसे वर्ग समूहो को एक मंच पर लाना ।,समाज के सभी नाथ भाईयो को एक मंच पर लाना । नाथ, जोगी, योगी, समाज के लागों को जोडना तथा आर्थिक सामाजिक तथा राजनीतिक - उन्नति के लिए प्रोत्साहित करना । देश और समाज को आर्थिक, समाजिक, राजनैतिक व धार्मिक द्रष्टि से सुद्रङ बनाना ।
4. शिक्षा का प्रसार प्रचार करना । शिक्षा का महत्व बताना तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिये प्रेरित करना । उच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र - छात्राओं को पुरस्कृत करना तथा खिलाडियों व कलाकारों को सम्मानित करना तथा राजकीय व केन्द्रिय सेवा में नियुक्ति पाकर समाज को गौरवान्वित करने वाले युवाओंको मंच के माध्यम से सम्मानित करना ।
5. देश और नाथ, जोगी, योगी समाज की विशिष्ट संस्क्रति को बनाये रखना । देश और नाथ, जोगी, योगी समाज की महत्ता को समझाना ।
6. देश और सम्पूर्ण नाथ, जोगी, योगी, समाज जाति के लिए कल्याण हेतु कार्य करना तथा समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करना । व समाज सुधार के माध्यम से देश और समाज के जीवन स्तर मे सुधार लाना ।
7. नाथ समाज के द्वारा अविवाहित युवक - युवती का परिचय - सम्मेलन आयोजित करना तथा समाज की गरीब कन्याओ के सामूहिक विवाह आयोजित करना ।
8. देश और समाज में आई बुराईयां जैसे कुप्रथा, अन्धविशवास, दहेज प्रथा, नशाखोरी, लिंग भेदभाव आदि के विरोध मे समाज को तैयार करना तथा समूल बुराईयों को नष्ट करना ।
9. बुजुर्गो के सम्मान के लिये काम करना, बुजुर्ग लोगों की सहायता करना । इनके लिये कार्यशालाओ का आयोजन करना ।
10. बच्चों व महिलाओं की सहायता करना तथा समय - समय पर इनके लिये विकास के कायो तथा कार्यशालाओ का आयोजन करना ।
11. जनसंख्या विस्फोट नियंत्रण के लिए, अधिक जनसंख्या से आने वाली परेशानियों की जानकारी कराना तथा परिवार नियोजन के उपाय सुझाना ।
12. देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने कर लिए एकजुट होकर कार्य करना।
13. अराजनैतिक और सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित रहना ।
14. आजकल बढ रहे जलवायु, ध्वनि प्रदूषण के प्रति समाज को सजग करना तथा पर्यावरण संरक्षण के उपाय सुझाना ।
15. आपसी क्षेत्रीय व धार्मिक भेदभाव भुलाकर विश्व बंधुत्व की भावना जागृत करना ।
16. नर सेवा नारायण सेवा की भावना का विकास करना और गरीब लोंगों की मदद करना ।
॥ॐ॥ जय गुरु गोरखनाथ ॥ॐ॥
Mohan nath
जवाब देंहटाएंMohan Nath yogi
जवाब देंहटाएंDev nath barna,asan natho ka bas
Barna Jodhpur Rajasthan
342602
Mera goutra Shiva goutra he . Bartaman hamare bich agyanta bahut jyada he. Ek prashna he ki nath Yogi kya aapas me shadi kar sakte he kyonki hamare yaha yeh prachalan he.
जवाब देंहटाएंRegards
Bapan ch Debnath